दिनेश अपने पिताजी को कह रहा था-" पिताजी - hindi kahaniya | hindi story | new story | heart touching story | creator contents | vasu dev
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दिनेश अपने पिताजी को कह रहा था-" पिताजी! मैंने आपकी कैलाश-मानसरोवर यात्रा की पुरी बात करली है। दस दिन बाद अक्षय ट्रावेल्स की टूर जाएगी लेकिन उन्होंने कहा है कि जिनकी उम्र साठ साल से ज्यादा है उन्हें डाक्टर की रिपोर्ट देनी होगी। मैंने चरक अस्पताल में डॉक्टर खुराना को फोन कर दिया है। आप उनसे रिपोर्ट लेकर पासपोर्ट की एक नकल और पच्चीस हजार रुपये अक्षय ट्रावेल्स को दे दीजिएगा।"
इतना कहकर दिनेश अपने दप्तर चला गया।
शाम को जब दिनेश दप्तर से वापस आया तो देखा कि पिताजी ड्राइंगरुम में बैठे चाय पी रहे थे।
दिनेश ने पूछा-" पिताजी! सब काम ठीक से हो गया? अक्षय ट्रावेल्स को पैसे वगैरह सब जमा करा दिए हैं ना?"
पिताजी बोले-" बेटा! डाक्टर से रिपोर्ट लेकर मैं सीधे पास के शंकर भगवान के मन्दिर गया और वहाँ शिवलिंग पर दूध और जल से अभिषेक कर मन में मान लिया कि मैंने मानसरोवर की यात्रा करली।"
दिनेश ने आश्चर्य से पूछा-" ऐसा क्यों पिताजी? क्या मानसरोवर यात्रा पर नहीं जाएंगे?"
पिताजी बोले-" बेटा! जब मैं डाक्टर खुराना से चेकअप करवा रहा था तो वहीं मेरे पास में एक बूढी़ और लाचार माँ को अपने बेटे के ईलाज के लिए पैसै के अभाव में डाक्टर के सामने गिड़गिडा़ रही थी अपने बेटे की जिंदगी की भीख मांग रही थी तो मैंने पच्चीस हजार रुपये भोलेबाबा को याद करके उसके बच्चे के इलाज के लिए डॉक्टर के पास जमा कर दिए,मन में ख्याल आया शायद भोलेनाथ ने अभी अपने पास बुलाया नही है और उनका मुस्कुराता चेहरा आंखों के सामने दिख गया,अगले साल बुलावा आया तो जरूर मानसरोवर की यात्रा पर जाऊंगा,
और पुनः शान्तिपूर्वक चाय की चुस्की लेने लगे।
बेटा पिता के पैर पड़कर उनके गले लग गया
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